Sunday, August 5, 2007

चाणक्य नीति

संसार रूपी कड़वे वृक्ष पर दो फल
अमृत के समान हैं, पहला प्रिय
वचन और दूसरा सज्जनों की संगति।

- आचार्य चाणक्य

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